Tuesday, December 9, 2008

सोचा न था


हल्की हल्की उन बारिशों मे
चलने का मन क्यों करता हैं
तेरे बिना एक दिन भी मेरा
क्यों कटता हैं
सोचा न था
ऐसा भी होगा
क्या मैं था और क्या बन गया
तेरे प्यार के चक्कर मे
तेरी एक हसी ने तो
चाँद को रूला डाला
तेरी उन आँखों ने तो
सूरज को छुप्पा डाला
तेरी मस्तानी चालों ने
किया कितनों को घायल
तेरी उन प्यारी बातों ने
किया कितनों को पागल
में भी उस मे
क्यों फसा
ये बात मुझको बता
जाने जाना.
सोचा न था
ऐसे भी होगा
क्या मैं था
और क्या बन गया
तेरे प्यार की चक्कर मे.
Sharath. M

3 comments:

lakshmi said...

love is such a nice feeling when felt from deep within..........not just from outside as a show, nice one annu, keep it up

sharath said...

this song was written and composed by sharath and posted by annu .. but where is sharath ..... pls encourage him also ........

Annu said...

likha hai humne ...itna bhi kameene nahi hai!!!dundo